कॉलगर्ल
वह मानता था कि जो केस आसान नजर आ रहा हो वह अक्सर काफी टाइम ले लेता था। और जो केस लटक जाता था वह लटका हुआ ही रहता था। कॉफी पीने के बाद वह खड़ा हो गया। सिर से टोपी उतार कर उसने टेबल पर रखी। लाइटर जलाकर सिगरेट सुलगा ली। और एक लंबा कष्ट खींचकर धुएं को उसने हवा में छोड़ा। धुएं के साथ वह जैसे पिघलता रहा। ठीक तभी टेलीफोन की घंटी बज उठी। जगदीश ने फोन रिसीव किया। "हेलो कतारगाम पुलिस चौकी।" "सर जमुना पार्क सोसाइटी के साईं दर्शन अपार्टमेंट के फर्स्ट फ्लोर में मर्डर हुआ है। आप जल्द से जल्द वहाँ पहुंच जाइए।" "कौन हो भाई आप कौन बोल रहे हो?" जगदीश ने ऊंची आवाज में पूछा लेकिन उसके चेहरे के भाव बता रहे थे कि सामने वाले ने फोन रख दिया है। "सर!" जगदीश ने खटपटिया की ओर देखा। 'मर्डर हुआ, यही ना?" "आपको कैसे पता चला?" "तुम्हारा चेहरा बता रहा है।" "चलो कहां जाना है?" खटपटिया बाहर निकलते हुए बोल उठा। जगदीश भी उसके पीछे भागता हुआ पुलिस वैन में सवार हो गया। "जमुना पार्क सोसाइटी ले लो।" जगदीश ने एड्रेस बताया। उस वक्त खटपटिया ने अपने स्टाफ के दो पुलिस कांस्टेबलों को फोन करके जमुना पार्क सोसाइटी पहुंचने का आदेश दे दिया। ********* ******* ****** दस मिनट बाद जगदीश और पोपट खटपटिया साईं दर्शन अपार्टमेंट के उसी फ्लैट में खड़े थे, जहां मृतक की लाश पड़ी थी। फ्लैट की नेम प्लेट से मालूम हो रहा था कि वह किसी करणदास नाम के बंगाली शख्स की डेड बॉडी थी। ठीक उसके सामने वाला फ्लैट नीलेश लिंबानी का था। खटपटिया ने तुरंत ही उसे बुला लिया। चिपकी हुई नाक चौड़ा चेहरा और लंबे बालों में निलेश लिंबानी कुछ अजीब लगा। उसने ग्रे कलर की जींस और वाइट टीशर्ट पहन रखी थी। "आपका शुभ नाम?" इंस्पेक्टर खटपटिया ने सपाट लहजे में लिंबानी से पूछा। "निलेश लिंबानी!" उसने बिना डरे अपना नाम बताया। "तो, लिंबानी सर आप क्या काम करते हैं?" खटपटिया ने जानकारी के लिए पूछा। "बस यूं ही डायमंड की पेढी में छोटे-मोटे मैनेजर हैं। आज ग्यारस की छुट्टी थी।" "आपके सामने वाले फ्लैट में करणदास का मर्डर हुआ है। आपको मालूम नहीं है क्या?" "नहीं सर, मेरे घर का मैनडोर लॉक होता है फिर बाहर क्या हो रहा है, कौन आता जाता है— कुछ भी पता नहीं चलता।" खटपटिया ने आते ही देख लिया था कि मेन गेट पर और हर फ्लॅट के कॉर्नर पर मैन डोर को कवरेज करें इस तरीके से कैमरे लगाए गए थे। "चलो मान लेते हैं' आपको कुछ भी पता नहीं है। मरने वाले को आप जानते हो क्या?" "पड़ोसी होने के नाते जानते हैं। और ऊपर से वह भी डायमंड फील्ड में थे और एक यूनिट के मालिक है। डायमंड उद्योग में काफी जाना पहचाना नाम थे वो। मुझे तो अभी भी विश्वास नहीं हो रहा कि उनकी हत्या हो चुकी है।" "आते जाते हुए किसी संदिग्ध व्यक्ति को देखा हो तो अभी बता सकते हो।" "नहीं सर, सचमुच मैंने ऐसे किसी भी इंसान को देखा नहीं है।" लिंबानी को पुलिस की लप मे पडना नहीं चाहता था। "जगदीश, दिमाग को घुमा देने वाला केस है। हीरा उद्योग के जाने-माने व्यापारी करसनदास का खून उनके ही फ्लैट में हो जाता है। और किसी को कानो कान भनक तक नहीं लगती। जबकि डेड बॉडी के जख्म बता रहे हैं कि उसे तेज धार वाले छुरे से लगातार वार किए गए हैं। किसी भी तरह की अफरा-तफरी और मरने वाले के साथ हाथापाई नहीं हुई है। क्या उसने अपने बचाव के लिए प्रतिकार भी नहीं किया होगा? बड़े ही आश्चर्य की बात लग रही है।" "सर,ऐसा ही हुआ है किसी तरह की अफरा-तफरी या हाथापाई नहीं हुई होगी। हो सकता है करसनदास गहरी नींद में सोया हो और उसको किसी ने मौत के घाट उतार दिया हो?" "थैंक यू सो मच लिंबानी साहब।" खटपटगया को अचानक याद आया हो ऐसे वह लिंबानी से मुखातिब हुआ, "आप जा सकते हो। जरूरत होगी तो आपको बुला लेंगे।" खटपटिया ने निलेश लिंबानी को वापस भेज दिया। "यस सर, जब भी जरूरत हो मुझे बुला लेना।" कहकर लिंबानी चला गया। "ब्लीडिंग ज्यादा होने के कारण मौत हुई लगती है। लिंबानी के जाते ही जगदीश बोल उठा। "जगदीश, अजीब नहीं लग रहा इस हटे कट्टे करसन दास के चेहरे पर पीड़ा का कोई भी भाव नहीं है। ऐसा लगता है उसे अपनी मौत की खबर तक नहीं है।" "यस सर, मैं वही कह रहा हूँ।" जरा इधर सामने दीवार पर तो देखो। जगदीश फटी हुई आंखों से देखने लगा। खटपटिया ने दीवार को देखा तो वह उछल पड़ा। दीवार पर टेढ़े मेढ़े अक्षरों से लहू से कठपुतली लिखा गया था। मतलब साफ था जो कोई कमरे में आया होगा मर्डर के इरादे से ही आया होगा। सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं जरूर कोई न कोई लिंक मिल जाएगी। टेढ़े मेढ़े अक्षरों को ध्यान से देखते हुए खटपटिया ने फॉरेंसिक एक्सपोर्ट को फोन जोड़ा।
पूरे कमरे को खटपटिया ध्यान से देख रहा था। कहीं कुछ गड़बड़ नहीं लग रही थी। सब कुछ ठीक-ठाक तो था। बहुत सी चीजें ऐसी थी जो काफी मूल्यवान लग रही थी। जिसे किसी ने अभी तक छुआ तक नहीं होगा। तिजोरी और उसकी चाबी भी करणदास के पास से बरामद हो गई। एक आईफोन उसके पास से मिला। जगदीश की बाज नजर कमरे की हर एक चीज पर घूम रही थी। फॉरेंसिक टीम ने डेड बॉडी के अलग-अलग एंगल से फोटोग्राफ्स ले लिए। उनके आने से पहले डेडबॉडी के पास किसी को जाने नहीं दिया गया था। खटपटिया सर के होते हुए इतनी हिम्मत किसी में नहीं थी। निलेश लिंबानी की उलट तपास करने के बावजूद उसके पास से कोई भी उपयोगी जानकारी नहीं मिली। फ्लैट के सभी कमरे, किचन, बाथरूम सब कुछ चेक कर लिया। जगदीश के चेहरे पर दुनिया भर का आश्चर्य छाया हुआ था। बिना वजह हत्या जैसे गुनाह को अंजाम नहीं दिया जाता। दीवार पर लिखा हुआ कठपुतली शब्द एक चीख चीखकर कह रहा था कि कोई ऐसा रहस्य है जो इस फ्लैट की दीवारों में सांसे ले रहा है। उस रहस्य पर फिलहाल पर्दा पड़ा है।
Varsha_Upadhyay
30-Sep-2023 10:21 PM
Nice one
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HARSHADA GOSAVI
30-Sep-2023 07:08 AM
Amazing
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Gunjan Kamal
28-Sep-2023 07:56 AM
👏👌
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